इश्क़ थोड़ा थोड़ा दोनों जगह
दोनों इक दूजे के होने लग
अब ना हर किसी में आए कभी दूर
(जैसे साथ थे)
जैसे पत्ता कोई पानियों म
बहता जाए कहानियों म
लगता है जो शुरू अंत से पूर
(किसी पे यारा)
जैसे हवा में घुला कोई समंदर
इसमें आज बह
तेरी दुआ जैसा लगे है जो अम्बर
इसमें उड़ते रह
इक मैं, इक तू, इक रंग, इक रूह
बादल सब मैं ही क्यों कह
(थैट ऑल आई वॉन्ट इज़ यू)
दिल जा रहा है या किसी पे आ रहा ह
मैं रोक लेता पर कहां ये मानता ह
दिल जा रहा है या किसी पे आ रहा ह
मैं रोक लेता पर कहां ये मानता ह
जो हुआ है उसे कोई नाम दे द
बेकार दिल को तुम कोई काम दे द
या कोई नाम दे द
इश्क़ थोड़ा थोड़ा दोनों जगह
दोनों इक दूजे के होने लग
अब ना हर किसी में आए कभी दूर
जैसे पत्ता कोई पानियों म
बहता जाए कहानियों म
लगता है जो शुरू अंत से पूर
आजकल तो एक पल क
मुझे तुझसे है फ़ुर्सत कह
बस तू है रूबरू ह
दूर नज़रों से अब है जह
इक मैं, इक तू, इक रंग, इक संग, इक रूह
इक मैं, इक तू, इक रंग, इक रूह
बादल सब मैं ही क्यों कह
जैसे हवा में घुला कोई समंदर
इसमें आज बह
तेरी दुआ जैसा लगे है जो अम्बर
इसमें उड़ते रह
इक मैं, इक तू, इक रंग, इक रूह
बातें सब मैं ही क्यों कह
(थैट ऑल आई वॉन्ट इज़ यू)
दिल जा रहा है या किसी पे आ रहा ह
मैं रोक लेता पर कहां ये मानता ह
दिल जा रहा है या किसी पे आ रहा ह
मैं रोक लेता पर कहां ये मानता ह
जो हुआ है उसे कोई नाम दे द
बेकार दिल को तुम कोई काम दे द
या कोई नाम दे द
इसमें आज बह
इसमें उड़ते रह